Monday 31 December 2012

तब आकर देना मुझे नए साल की मुबारकबाद !

 
नया साल आया,
 लोगो ने मनाई खुसियाँ ।।
मगर,
क्या भूला पायेगे हम ,
पिछले वर्ष की त्रासदियाँ ।। 

लोग चाहे जैसे भी दे ले मुबारकबाद । 
मगर मुझको आ ही जाएगी इनकी याद । 

सच कहना मेरे दोस्त , 
कलेन्डर के अलावा और क्या बदला है । 

वही एक ओर गरीबी है , बेबसी है , 
भूख और प्यास है । 
दुसरी ओर 
सुख है, समृद्धी है ,
ऐश्वर्य और विलास है । 

इसी लिए तो मैं कहता हूँ मेरे दोस्त ,

जब भूखा न हो कोई बचपन , 
ममता बेबस न हो ,
ईन्सानी भेडियों से महफुज हो 
हर बहना की लाज ।। 
तब आकर देना मुझे ,
नए साल की मुबारकबाद ।।

- मथुरा प्रसाद वर्मा ''प्रसाद''

ढाई इंच मुस्कान

सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...