Monday 2 December 2013

अच्छा नहीं लगता।।


तेरे ख्यालों में इस कदर खोया रहता हूँ;
कि तू भी आये तो अच्छा नहीं लगता।।

मेरा ख्वाब है मुझे देख तो लेने दे;
कोई जगाये तो अच्छा नहीं लगता।।

अब अँधेरे कि आदत हो गई मेरे घर को;
कोई दीप जलाये तो अच्छा नहीं लगता।।

तू मनाता है इसलिए तो रूठ जाता हूँ;
कोई और मनाये तो अच्छा नहीं लगता।।

ये माना
मेरे गीत है फिर भी
बेवक्त कोई गाये तो अच्छा नहीं लगता।।

वो हँसते है बहुत मेरे आशुओं पर
प्रसाद' मुस्कुराये तो अच्छा नहीं लगता
।।

करती है सरकार भैया।।

करती है सरकार भईया।।
आजकल व्यापार भईया।।

इन्हें तो बस वोट चाहिए।
देश का बंठाधार भईया।।

गुंडे मवाली छुटभैयों से
संसद है लाचार भईया।

किसे पड़ी है सच बोलेगा
कौन सहेगा मार भईया।

आपस में सब तने पड़े है
खिची हुई  तलवार भईया।

प्यार करेगा छूप छुप के गर
पकड़ा गया बलात्कार भैया।

धीरे धीरे

उठने लगे है कदम धीरे धिरे।
ये कहां जा रहे है हम धीरे धीरे।

नफरतें बढ़ी है मगर क्यों दिलों में
मुहब्बत हुई है कम धीरे धीरे।।

हमने सहा है हम ही सहेंगे
सनम तू करले सितम धीरे धीरे।।

मेरे बिश्वास को किया तार तार,
आज खा रहे है कसम धीरे धीरे।।

वो जब मुस्कुराये तुम ये समझाना
निकलने लगा है मेरे दम धीरे धीरे।।

प्रसाद' ख्याल रखना वो  दर्द
लगायेगे फिर मरहम धीरे धीरे।।

यही जिन्दगी है तो मेरे मौत मुझपे
करता नहीं क्यों रहम धीरे धीरे।।

ढाई इंच मुस्कान

सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...