जब जब लोगो पर हुए अत्याचार
लोगो ने लगाई गुहार
सर पर कफन बांधे आया मसिहा
और लडता रहा लोगो के लिए
दिन रात ।
लोगो ने लगाई गुहार
सर पर कफन बांधे आया मसिहा
और लडता रहा लोगो के लिए
दिन रात ।
सहता रहा आघात पत्थरों के
चुना जाता रहा दिवारों पर
चढता रहा सुलियों पर
छलनी होता रहा गोलियों से
बार बार ।
लोग बने रहे तमाशाबिन
बैठे रहे चुपचाप
छटपटाते हुए देखते रहे
मसिहा को
जुल्म बढता रहा
हर रोज।
और जब
मर गया मसिहा
लोग करने लगे इंतिजार
फिर एक बार
और किसी मसिहे की
मसिहाआएगा
ओर हमें बचाएगा
बार- बार,
बार- बार,
बार- बार
चुना जाता रहा दिवारों पर
चढता रहा सुलियों पर
छलनी होता रहा गोलियों से
बार बार ।
लोग बने रहे तमाशाबिन
बैठे रहे चुपचाप
छटपटाते हुए देखते रहे
मसिहा को
जुल्म बढता रहा
हर रोज।
और जब
मर गया मसिहा
लोग करने लगे इंतिजार
फिर एक बार
और किसी मसिहे की
मसिहाआएगा
ओर हमें बचाएगा
बार- बार,
बार- बार,
बार- बार
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