Thursday, 23 February 2012

इशारे से कभी बुलाये तो कोई !!

छुप के देखे नजरें झुकाये तो कोई ।
कर इशारा हमे भी बुलाये कोई।

टूट जाने दे इसका हमें गम नहीं,
एक हंसी ख्वाब हमको दिखाए कोई।

बस इस उम्मीद में मैं रोया करूँ,
रूठ जाऊं तो आके मनाये कोई ।

मेरी आँखों में सपने तलाशा करे,
कभी तैर कर डूब जाये कोई।

न आये,पर आने की उम्मीद तो हो,
कर के वादा मुझको बहलाए कोई ।

मैं भी किस्से कहूँ दिल के हालात को,
बात को जो हर एक उड़ाए कोई।







गजल : रूठ कर मान जाने से क्या फायदा।

212 212 212 212। ऐसे झूठे बहाने से क्या फायदा। रूठ कर मान जाने से क्या फायदा। प्यार है दिल में तो क्यों न महसूस हो, है नहीं फिर ...