Tuesday 20 October 2020
प्रसाद के पद : सखी री, जूते उनको मार
Tuesday 13 October 2020
छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल - रोज सुध कर के जेकर छाती जरे
लेस दे जे घर अपन वो मोर सँग मा आय।
Tuesday 6 October 2020
लेस दे जे घर अपन वो मोर सँग मा आय।
Sunday 16 August 2020
कुण्डलिया
होरी हर मन मा जलय, मिटय कुमत कुविचार।
मथुरा मया गुलाल ले, नाचय बीच बजार।
नाचय बीच बाजार, फाग गा गा संगी।
मदहा समझय लोग, समझ ले कोई भंगी।
पिचकारी भर रंग, छन्द बरसाहँव गोरी।
साधक सब सकलाय, मात गे हमरो होरी।
Saturday 15 August 2020
एक पैरोडी
कइसे तरे
कइसे तरे
कइसे तरे हो रामा कइसे तरे।
भजन बिना प्राणी कइसे तरे।
भटक रहा दुनियाँ क्यों मारा मारा ।
क्या लेके आया था क्या है तुम्हारा।1।
जब तक तू पर हेत खोदेगा खाई।
सुख पायेगा कैसे तू मेरे भाई।2।
ये दुनियादारी तुझको तो दुख देगा भारी।
आनंद के सागर है मेरे बाकेबिहारी।2।
इस दुनिया मे किसका कौन है सहारा।
रामनाम जप मनवा तू पायेगा किनारा ।4।
भजन श्यामसुंदर है भजन सुर-मीरा ।
भजन राम तुलसी और पागल कबीरा।5।
मुक्तक
चरण की वंदना करके, नवा कर शीश बोलूंगा।
सिया मजबूरियों ने था, ओठ वो आज खोलूंगा।
मेरी हक की जो रोटी है मुझे देदो मैं भूखा हूँ,
नहीं तो बाजुओं से फिर तेरी औकात तोलूँगा।
तेरी कुर्सी तेरा सत्ता सियासत आज रोयेगा।
मेरी आँखों का पानी आज सारे दाग धोएगा।
मेरा बच्चा जो रोता आया सदियो भूख के आशु,
जो आशु आँख से उतरा यहाँ बारूद बोयेगा।
Sunday 19 January 2020
अमृत धावनि छंद : काँटा
नेता मन ला आज के, जोंक बरोबर जान ।
जोंक बरोबर, जान मान ये, चुहकय सबला।
बन के हितवा, स्वारथ खातिर, लूटय हमला ।
धरम जात मा, काट काट के, बाँटय बाँटा ।
आगुवाए ले, सदा गोड़ ला, रोकय काँटा ।
ढाई इंच मुस्कान
सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...
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छत्तीसगढिया शायरी 1 . बहुत अभिमान मैं करथौ, छत्तीसगढ के माटी मा । मोर अंतस जुड़ा जाथे, बटकी भर के बसी मा। ये माटी नो हाय महतारी ये,...
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अंधियारों ने बहुत सताया नया सबेरा लाना है!! गावं -गावं और घर-घर जाकर दीप नए जलना है !! जब-जब अत्याचार बढे है ;हमने यही पुकारा है ! हर ...
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सूरज निकलता रहा हर दिन हर दिन लाल होता रहा आकाश पक्षी चहकते रहे' हवाएं चलती रही झूमती रही डालियाँ । उठ...