सच होंगे कभी सपने भी हमारे देखना ।।
किसी डुबते का जैसे कि किनारे देखना।।
त ठुकरा देगा कोई तुम्हारे जैसा
काम आयेंगे किसी दिन हम तुम्हारे देखना।।
फकाकासी देती है बड़ी सकूँ भी जिंदगी में
कभी बनकर मेरी तरह बंजारे देखना।
तेरा एक सितम है आधे नज़ारे देखना।।
उनकी आरजू न करतेरे जो न हो सके,
छोड़ दो 'प्रसाद'दिन में तारे देखना
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