Sunday 24 March 2013

सच होंगे कभी सपने भी हमारे देखना ।।

चमकेंगी किसी दिन ये सितारे देखना ।।
सच होंगे कभी सपने भी हमारे देखना ।।

देखना उनको मेरा ;इस तरह देखना,
किसी डुबते का जैसे कि किनारे देखना।।


       त   ठुकरा देगा कोई तुम्हारे जैसा
काम आयेंगे किसी दिन हम तुम्हारे देखना।।


फकाकासी देती है बड़ी सकूँ भी जिंदगी में
कभी बनकर मेरी तरह बंजारे देखना।

मुझे जब भी देखा तुमने मेरे ऐब ही देखा
तेरा एक सितम है आधे नज़ारे देखना।।

उनकी आरजू करतेरे जो हो सके,
छोड़ दो  'प्रसाद'दिन में तारे देखना


- मथुरा प्रसाद वर्मा "प्रसाद

http://sivprasadsajag.blogspot.in/

ढाई इंच मुस्कान

सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...