Wednesday 18 November 2015

घोटाले देंगे

सपने बड़े निराले देंगे।।
हर रोज नए घोटाले देंगे।।

राजनेता हम इस देश को।
बीवी ,बच्चे और साले देंगे।।

चाबी दे दे कर चोरों को
फोकट में सबको ताले देंगे।।

घासलेट महंगी हुई तो क्या है
नई दुल्हन को जलाने देंगे।।

सीमेंट ,रेत ,छड़ खाने वाले
भूखों को क्या निवाले देंगे।

काम न दे पाये हाथो को
तो त्रिशूल तलवार भाले देंगे।

अख़बार चलाने वाले हम तुमको
हर रोज नए मसाले देंगे ।

घर अपना जलाकर 'प्रसाद'
कब तक गैरो को उजाले देंगे।

जीवन के सपने

मैंने चाहा था कभी
जीवन के बेरंग कैनवास पर
हसिन सपनो से रंग देना।

मैं उम्रभर भागता रहा
उन्ही सपनो के पीछे।
तलाशता रहा दुनियाँ भर के रंग
ताकि जीवन हो सके रंगीन
सपनों की तरह।

किन्तु इस प्रयास में
न जाने कब ?
न जाने कैसे ?
जीवन हो गया बदरंग।
कैसे बिखर गए सपने
कैसे की बेवफाई
बेहया रंगों ने।

कितना अच्छा था मेरा जीवन
जन बेरंग था।
कम से कम
एक उम्मीद तो थी
रंग बिरंगे सपनो से
रंगे जाने की।

जीवन

जीवन

जीवन क्या सिर्फ इसलिए है
कि चाहे जैसे भी हो जिया जाये ।
इस हलाहल को पीना ही है तो
क्यों न मुस्कुरा कर पिया जाये।

कोई लक्षय नही पथ ही पथ है
और उनपर चलना सिर्फ चलना है।
सुविधाओ का बाट जोहते
आखिर कब तक हाथ मलना है।

संघर्षों से जी चुराते हुए
समझौते और कितने करने होंगे।
पल भर और जीने के लिए
कितनी बार और मरने होंगे।

कितना जी पता है मानव
जीवन को जीवन के जैसे।
साँसे हो गई है महंगी और
जीवन मुट्ठी के खोटे पैसे।

ढाई इंच मुस्कान

सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...