वो चींखने चिल्लाने वाले कौन है ?
कौन है?
कौन है ?
जो भूखे है ?
जो प्यासे है ?
बेघर है?
नंगे है ?
क्या उनके दंगे है ?
अरे नहीं !
उन्हें भला कहा फुर्सत है ?
वो क्यों चीखेंगे ?
क्यों चिल्लायेंगे?
वो सब तो मौन है।
फिर भला ये कौन है?
ये वो है
जो ख़ास मौको पर आते है
हमारी भूख और प्यास
रोटी और गरीबी को
जो लोग भुनाते है।
ये वही लोग है जो चिल्लाते है
जो हमारी प्यास से
अपनी प्यास बुझाते है।