Sunday, 24 March 2013

सच होंगे कभी सपने भी हमारे देखना ।।

चमकेंगी किसी दिन, ये सितारे देखना।
सच होंगे कभी सपने भी हमारे देखना।

देखना उनको मेराइस तरह देखना,
किसी डुबते का जैसे कि किनारे देखना।

जब तुमको ठुकरा देगा कोई तुम्हारे जैसा
काम आयेंगे हम ही तुम्हारे देखना।।

फांकाकशी देती है बड़ी सकूँ भी जिंदगी में,
कभी बनकर मेरी तरह बंजारे देखना।

मुझे जब भी देखा तुमने मेरे ऐब ही देखा
एक सितम है आधे नज़ारे देखना।।

उनकी आरजू कर तेरे जो हो सके,
छोड़ दो  'प्रसाद'दिन में तारे देखना।


-मथुरा प्रसाद वर्मा "प्रसाद

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गजल : रूठ कर मान जाने से क्या फायदा।

212 212 212 212। ऐसे झूठे बहाने से क्या फायदा। रूठ कर मान जाने से क्या फायदा। प्यार है दिल में तो क्यों न महसूस हो, है नहीं फिर ...