सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मसिहा

जब जब लोगो पर हुए अत्याचार लोगो ने लगाई गुहार सर पर कफन बांधे आया मसिहा और लडता रहा लोगो के लिए दिन रात । सहता रहा आघात पत्थरों के चुना जाता रहा दिवारों पर चढता रहा सुलियों पर छलनी होता रहा गोलियों से बार बार । लोग बने रहे तमाशाबिन बैठे रहे चुपचाप  छटपटाते हुए देखते रहे  मसिहा को जुल्म बढता रहा हर रोज। और जब  मर गया मसिहा लोग करने लगे इंतिजार फिर एक बार और किसी मसिहे की  मसिहाआएगा  ओर हमें बचाएगा बार- बार, बार- बार, बार- बार