Sunday, 19 January 2020

अमृत धावनि छंद : काँटा

काँटा बोलय गोड़  ला, बन जा मोर मितान ।
नेता मन ला आज के, जोंक बरोबर जान ।
जोंक बरोबर, जान मान ये, चुहकय सबला।
बन के हितवा, स्वारथ खातिर, लूटय हमला ।
धरम जात मा, काट काट के, बाँटय  बाँटा ।
आगुवाए ले, सदा गोड़ ला, रोकय काँटा । 

गजल : रूठ कर मान जाने से क्या फायदा।

212 212 212 212। ऐसे झूठे बहाने से क्या फायदा। रूठ कर मान जाने से क्या फायदा। प्यार है दिल में तो क्यों न महसूस हो, है नहीं फिर ...