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अमृत धावनि छंद : काँटा

काँटा बोलय गोड़  ला, बन जा मोर मितान । नेता मन ला आज के, जोंक बरोबर जान । जोंक बरोबर, जान मान ये, चुहकय सबला। बन के हितवा, स्वारथ खातिर, लूटय हमला । धरम जात मा, काट काट के, बाँटय  बाँटा । आगुवाए ले, सदा गोड़ ला, रोकय काँटा ।