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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुक्तक : मोर अँगरी धर चलव।

 एक दिन वो पार जाबो ये भरोसा कर चलव। पोठ रख विस्वास मन के छोड़ जम्मो डर चलव। मँय सुरुज के सारथी बन लड़ जहूँ अँधियार ले, जे विहिनिया चाहथे वो मोर अँगरी धर चलव।