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दु गीत मया के गावन दे।

दू गीत मया के गावन दे।  दू गीत मया के गावन दे। एक गीत यार जवानी के  जिनगी के प्यार कहानी के। एक गीत अमर बलिदानी बर। लहू डबकात जे रवानी बर। बिरवा मँय बोयें जिनगी भर,  अब फूल सहीं ममहावन दे। सब मीत मोर सब सँगवारी। जावत हावे आरी पारी। कब मोर बुलावा आ जाही। कब साँस कहाँ थीरा जाही। जब बोझ साँस के ढोवत हँव, मन के मनमीत सुनावन दे। कतको जाही कतको आही। कवि अपन पिरा ल गोहराही। ये दुनिया आनीजानी ये । जिनगी के इही कहानी ये। ये रंगमंच मा आज महुँ ला, रस घोरन दे बरसावन दे।