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शेर

इतनी समझ तो मुझको भी है यारों दुनियादारी की। दो पैसे के खातिर किसने कब मुझसे मक्कारी की। रुपये पैसे बंगला गाड़ी बात हो हिस्सेदारी की। मेरे हिस्से में फिर रखना दौलत को खुद्दारी की।