इतनी समझ तो मुझको भी है यारों दुनियादारी की।
दो पैसे के खातिर किसने कब मुझसे मक्कारी की।
रुपये पैसे बंगला गाड़ी बात हो हिस्सेदारी की।
मेरे हिस्से में फिर रखना दौलत को खुद्दारी की।
212 212 212 212। ऐसे झूठे बहाने से क्या फायदा। रूठ कर मान जाने से क्या फायदा। प्यार है दिल में तो क्यों न महसूस हो, है नहीं फिर ...