सुना करते हो क्यों इनकी,
ये कुछ क्या खास करते है।
जो कुछ भी कर नहीं सकते,
वही बकवास करते है।
लगाते है ये औरों पर
बड़े लाँछन लगाने दो,
बुरा खाने से अच्छा है
चलो उपवास करते है।
अगर खाने पे मन अटके
कभी उपवास मत करना।
कभी छल कर किसी का मन,
कहीं भी रास मत करना।
तपोवन घर लगेगा जब
सरल मन ये तुम्हारा हो,
हो मैला जब भी ये दर्पण,
किसी के पास मत करना।
अगर घाटे का सौदा हो,
कभी व्यापार मत करना।
नफा नुकसान जब सोचो,
तो फिर तुम प्यार मत करना।
जहाँ बेमोल बिक जाने से
तुझको भी लगे अच्छा,
ये सौदा कर तो सकते हो
मगर हर बार मत करना।
गधे के सींग जैसे हैं
न जाने कब दिखाई दे।
गले मिलने चले आते है,
जब मतलब दिखाई दे।
खुदा महफूज रक्खे तुमको
इन मक्कार यारों से,
मेरे बेटे सम्हल कर चल
ये काँटे जब दिखाई दे।
सहीं कहते थे बाबूजी,
खुसी औ गम नहीं होंगे।
हमेशा एक जैसा कोई भी
मौसम नहीं होंगे।
तुझे गिरना सम्हल जाना,
खुदी से सीखना होगा।
ये उँगली थामने तेरा
हमेसा हम नहीं होंगे।
निकल कर देख लो घर से
सम्हलना सीख जाओगे।
गिरोगे और उठोगे जब तो
चलना सीख जाओगे।
भले रोके कोई भी राह
तुम परवाह मत करना;
यूँ ही चलते रहो आगे
निकलना सीख जाओगे।
चढ़ोगे जब बुलन्दी पर,
तभी ये फिर के आएंगी।
मुसीबत की घटा जीवन में
अक्सर घिर के आएंगी।
कभी गिरने के डर से पाँव को
मत लड़खड़ाने दो,
डरो मत हौसला रक्खो
के हिम्मत गिर के आएगी।
बड़ी जो कामयाबी है,
मुसीबत साथ लाती है।
बुलन्दी पर पहुँच अक्सर
कदम भी लड़खड़ाती है।
मेरे बच्चे सम्हलकर चल
नहीं अब हौसला टूटे,
कि हिम्मत से मुसीबत की
कमर भी टूट जाती है।
सभी रोकेंगे तेरी राह
बाधाएं डराएंगे।
ये गढ्ढे और पत्थर ही
तुम्हे चलना सिखाएंगे ।
नहीं रुकना किसी भी चोट से
डर कर मेरे बच्चे,
गिरोगे चोट खाकर जब
अकल के दाँत आएंगे।