तेरे ख्यालों में इस कदर खोया रहता हूँ; कि तू भी आये तो अच्छा नहीं लगता।। मेरा ख्वाब है मुझे देख तो लेने दे; कोई जगाये तो अच्छा नहीं लगता।। अब अँधेरे कि आदत हो गई मेरे घर को; कोई दीप जलाये तो अच्छा नहीं लगता।। तू मनाता है इसलिए तो रूठ जाता हूँ; कोई और मनाये तो अच्छा नहीं लगता।। ये माना मेरे गीत है फिर भी बेवक्त कोई गाये तो अच्छा नहीं लगता।। वो हँसते है बहुत मेरे आशुओं पर प्रसाद' मुस्कुराये तो अच्छा नहीं लगता ।।
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.