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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मोर छत्तीसगढ़ी गीत: छत्तीसगढिया शायरी

  छत्तीसगढिया शायरी   1 . बहुत अभिमान मैं करथौ,   छत्तीसगढ के माटी मा । मोर अंतस जुड़ा जाथे,  बटकी भर के बसी मा। ये माटी नो हाय महतारी ये,   एकर मानतुम करव बइला आन के चरत हे,   काबर    हमर  बारी मा  ।   2 मै   तोरे  नाव लेहुँ,  तोरे गीत   गा के मर   जाहूं ।।  जे तै इनकार कर देबे,  त   मै   कुछु खा के मर जाहुं ।। अब तो लगथे ये जी जाही  संगी  तोर    मया मा, कहूँ इकरार कर लेबे    त मै  पगला के मर जाहुं ।।                       3 ये कइसे पथरा दिल ले मै ह  काबर प्यार कर डारेव ।। जे दिल ल टोर के कईथे का अतियाचार कर डारेव ।। नइ  जानिस वो बैरी हा  कभू हिरदे के पीरा ला  जेकर मया मय जिनगी ला  मै  अपन ख़्वार कर डारेव।।               ...