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फ़रवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुक्तक

नजर में हो कोई परदा, नजारा हो तो कैसे हो ।। कोई जब डूबना चाहे , किनारा हो तो कैसे हो।। किसी के हो न पाये तुम, यहां पल भी मुहब्बत में,  बताओ तुम यहाँ कोई, तुम्हारा हो तो कैसे हो।