उनके चाहत के सपने सजाएँ हूँ अब तक ! उनके यादों को सिने में बसाये हूँ अब तक ! वो मासूम चेहरा, वो झील सी गहरी आँखें ; वो उनका मुस्काना ,वो उनका शर्माना, भोली सूरत को आँखों में छुपाये हूँ अब तक ! छुप-छुप के हम फिर हथेली से अपना सहारा छुपाना ; कुछ भी तो नहीं भुला पाए हूँ अब तक ! वो जागी जागी, रातें वो तेरी बातें ; वो जुदाई के दिन , और वो मुलाकातें ; उन्ही यादों में कहाँ , सो पाए हूँ अब तक ! प्यासी-प्यासी सी मेरी भीगी निगाहें ; ताकती रहती है तेरी वो सुनी राहें ; तेरी राहों में पलके बिछाएं हूँ अब त क !
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.