कोई हादसा हो गया होगा । वो चलते-चलते सो गया होगा । बदहवास गलियों में फिरता है, कोई अपना खो गया होगा । मेरे दुशमनों को फुरशत कहाँ है, कोई दोस्त ही कांटे बो गया होगा । वो आज-कल मुंह छिपाता फिरता है। रूबरू आईने से हो गया होगा । प्रसाद' मेरा कफन अब भी गिला है, कोई छुप-छुप के रो गया गया होगा !
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.