कोई हादसा हो गया होगा ।
वो चलते-चलते सो गया होगा ।
बदहवास गलियों में फिरता है,
कोई अपना खो गया होगा ।
मेरे दुशमनों को फुरशत कहाँ है,
कोई दोस्त ही कांटे बो गया होगा ।
वो आज-कल मुंह छिपाता फिरता है।
रूबरू आईने से हो गया होगा ।
प्रसाद' मेरा कफन अब भी गिला है,
कोई छुप-छुप के रो गया गया होगा !
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