कोई कितना भी पुकारे, पाँव पर हिलता नहीं। भीड़ है चारो तरफ पर आदमी मिलता नहीं। आज कल क्या हो गया है, बागबां को दोस्तों, खार है हर साख पर बस, गुल कोई खिलता नहीं।
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.