बुझाते हुए दिये भी सितारा लगे है आजकल।।
मझधार भी जाने क्यू किनारा लगे है आजकल।।
फूल हमेशा साथ देते नहीं यह जानकर
काँटों का साथ ही प्यारा लगे है आजकल।।
तुम कुछ सोचो मैं कुछ सोचु वो सोचे कुछ और
सोचने का ये हुनर नकारा लगे है आजकल।।
घर बनाना चाँद पर कुछ लोग चाहते है मगर
मेरे रोटियां मुझको सबसे न्यारा लगे है आजकल।।
तक़दीर ने मेरा मुझको उस मोड़ पर है ला दिया
तेरे नाम का मीठा जल भी खारा लगे है आज कल ।।
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