रोटियां तब भी बिकती थी।
रोटियां अब भी बिकती है।
रोटियां वो भी बेचते थे
रोटियां ये भी बेचते है।
फर्क है बस इतना
कि तब हम रोटियां खरीद नहीं पाते थे।।
अब रोटियां खा नहीं पाते।
क्यू कि
भूख तब भी नहीीं बिकता था
भूख अब भी नही बिकता है।
सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...
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