उनके चाहत के सपने सजाएँ हूँ अब तक ।
उनके यादों को सीने में बसाये हूँ अब तक ।
वो मासूम चेहरा, वो झील सी गहरी आँखें ;
वो उनका मुस्काना ,वो उनका शर्माना,
भोली सूरत को आँखों में छुपाये हूँ अब तक !
छुप-छुप के हमसे निगाहें मिलाना
फिर हथेली से अपना सहारा छुपाना ;
कुछ भी तो नहीं भुला पाए हूँ अब तक !
वो जागी जागी रातें , वो तेरी सारी बातें ;
वो जुदाई के दिन , और वो मुलाकातें ;
उन्ही यादों में कहाँ सो पाए हूँ अब तक !
प्यासी-प्यासी सी मेरी भीगी निगाहें ;
तकती रहती है तेरी वो सुनी राहें ;
तेरी राहों में पलके बिछाएं हूँ अब तक !
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