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छत्तीसगढिया शायरी 1 . बहुत अभिमान मैं करथौ, छत्तीसगढ के माटी मा । मोर अंतस जुड़ा जाथे, बटकी भर के बसी मा। ये माटी नो हाय महतारी ये,...
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अंधियारों ने बहुत सताया नया सबेरा लाना है!! गावं -गावं और घर-घर जाकर दीप नए जलना है !! जब-जब अत्याचार बढे है ;हमने यही पुकारा है ! हर ...
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पहिली जाल बिछाही पाछू, सुग्घर चारा डार दिही। तोरे राग म गाना गाही, मया के मंतर मार दिही। झन परबे लालच मा पंछी,देख शिकारी चाल समझ; फाँदा खे...
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