अपने हालात पे यूँ लाचार हो गए हैं . आम थे कभी , अब आचार हो गए हैं . अपनी आजादी पे किसकी नज़र लगी उम्र भर के लिए गिरफतार हो गए हैं . भूख लगी हमने तो रोटी क्या मांग ली , उनकी निगाहों में गुनहगार हो गए हैं . वो देने आया था दर्दे दिल का दवा हमें सुना है इन दिनों बीमार हो गया हैं . सुना है कुछ बेईमान लोगों ने कैसे , कुछ जोड़ तोड़ की है ओर सरकार हो गए है दु वा मांगी थी ...
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.