Wednesday 22 August 2012

अपने हालत पे यूँ लाचार हो गए हैं.


अपने  हालात  पे  यूँ लाचार  हो गए  हैं.
आम  थे  कभी, अब आचार हो गए  हैं.

अपनी आजादी पे किसकी नज़र लगी 
उम्र भर के लिए गिरफतार हो गए हैं . 


भूख लगी हमने तो  रोटी क्या मांग ली,

उनकी निगाहों में गुनहगार हो गए हैं .

वो  देने  आया था दर्देदिल का दवा हमें
सुना है इन दिनों बीमार हो गया  हैं.

सुना है कुछ बेईमान लोगों ने कैसे ,
कुछ जोड़ तोड़ की है ओर सरकार हो गए है 


दुवा  मांगी थी कभी खुशियों की मैंने 
उसी दिन से मेरे हाथ बेकार हो गए है 

2 comments:

  1. ON MAY 7TH,2012 WE MET DR.A.P.J.ABDUL KALAM AT NEW DELHI,IN HIS RESIDENSE AND ENJOY THE MEETING UP TO 35 MINUTS,WITH 35 STUDENTS AND 2 TEACHERS.

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