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मुक्तक

मुहब्बत एक फैशन है ,आजकल ज़माने में।
नही दिल देखता कोई , लगे है तनको सजाने में।।
बहुत आसान है पहली नज़र में दिल दे देना;
पसीने छूट जाते हैं मगर रिश्ते निभाने में।

कभी करता है दिल मेरा, कि मैं देवदास हो जाता ।।
न पड़ता तेरे चक्कर में, तो कुछ ख़ास हो जाता ।।
अगर होते सिलेबस में, तुम्हारे हुस्न के चर्चे;
ये मुमकिन है परीक्षा में, मैं भी पास हो जाता ।।


हर एक हार किसी जीत की शुरुवात  होती है ।।
हर सुबह से पहले एक लम्बी रात होती है ।।
जो हिम्मत हारते नहीं है गिर-गिर के राहों में;
मुकद्दर में उन्ही के जीत की सौगात होती है ।।

माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है।
वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।।
आज के इस दौर में मुझे ये मलाल है
कुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।



















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