Saturday 27 May 2017

मुक्तक

तुझको खयालो में सही कुछ तो मैंने पाया था।
ख्वाब टूटा तो ये जाना कि वो  तेरा साया था।
तू चला जा कि अब मैं लौट कर न जाऊंगा,
मैं तेरे साथ बहुत दूर चला आया था।

1 comment:

ढाई इंच मुस्कान

सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...