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कुण्डलिया

कौन छुरे को देख कर, बकरा करे बवाल। गले लगा कर तू बता, किससे होय हलाल। किससे होय हलाल, आज ये चुनना होगा। अब सब कर मतदान, सिर को धुनना होगा। ले सारे पहचान , आदमी आज बुरे को। आज समझ कर चाल, तोड़ दे कौन छुरे को।

दोहे

जब जब मेरी भूख ने, माँग लिया अधिकार। तब तब रोटी रुठ कर, खोज रही मनुहार। अम्मा जाने बेहतर, बच्चों से संसार । क्यों बकरी से भेड़िया, जता रहा है प्यार। पतझर मुझसे माँगता, मेरा  रोज  बसन्त। सावन नैनो को सदा, देकर जाते कन्त। लाेकतंत्र है बावरे, क्यों कर रहा बवाल। बढ़िया छुरा देख कर, हो जा आज हलाल।

आल्हा : मुसवा

विनती करके गुरू चरण के, हाथ जोर के माथ नवाँव। सुनलो सन्तो मोर कहानी,पहिली आल्हा आज सुनाँव।। एक बिचारा मुसवा सिधवा, कारी बिलई ले डर्राय। जब जब देखे नजर मिलाके, ओखर पोटा जाय सुखाय।। बड़े बड़े नख दाँत कुदारी, कटकट कटकट करथे हाय। आ गे हे बड़ भारी विपदा,  कोन मोर अब प्रान बचाय।। देखे मुसवा भागे पल्ला, कोन गली मा  मँय सपटाँव। नजर परे झन अब बइरी के,कोन बिला मा जाँव लुकाँव। आघू आघू  मुसवा भागे ,  बिलई  गदबद रहे कुदाय। भागत भागत मुसवा सीधा, हड़िया के भीतर गिर जाय। हड़िया भीतर भरे मन्द हे, मुसुवा उबुक चुबुक हो जाय। पी के दारू पेट भरत ले,तब मुसवा के मति बौराय। अटियावत वो बाहिर निकलिस, आँखी बड़े बड़े चमकाय। बिलई ला ललकारन लागे, गरब म छाती अपन फुलाय। अबड़ तँगाये मोला बिलई , आज तोर ले नइ डर्राव। आज मसल के रख देहुँ मँय, चबा चबा के कच्चा खाँव। बिलई  सोचय ये का होगे, काकर बल मा ये गुर्राय। एक बार तो वो डर्रागे, पाछु अपन पाँव बढ़ाय।। बार-बार जब मुसवा चीखे , लाली लाली  आंख दिखाय। तभे बिलइया हा गुस्सागे, एक झपट्टा मारिस हाय। तर- तर तर -तर तेज लहू के,...