गटक रहा सदा जहर, मरा नही तो क्या। नष्ट जान माल अगर ,करा नहीं तो क्या। पड़े पड़े चले गए, नशा करे तू जा। बड़े बड़े हुए खतम, अभी मरे तू जा। दिवस गुजर रहा नहीं, नींद नहीं रैना। तन मन धन रुग्ण हुआ, चैन नही नैना। बहुत पिया अभी जरा , चेत जा न प्यारे। जीवन ना कटे कहीं, रोग के सहारे। समय कभी रुका नहीं, झुका ना झुकाए। दो घूंट बैठा पिये, आँख क्या दिखाए। उतर गया नशा कहीं, बात बनाएगा। नजरों से तेरे तुझको, यही गिरायेगा। कितने घर उजड़ गए, उजाड़े मधुशाला। आदमी को भी घोल, गटक गया प्याला। रिश्ते नाते ना रहे, छोड़ गए सारे। हाल पूछेने यहाँ, आय आज द्वारे। आज एक बात मान, यार बन्धु भाई। छोड़ बुरे काम मिले, नरक से रिहाई। नैन मिला प्यार बढ़ा, गीत मस्त गा ले। दिल कोई टूट गया, नया दिल बनाले। कहाँ कहाँ भटक रहे, दिखे अधमरा सा। जीवन से रोग भगा, चेत जा जरा सा। हुआ अभी उमर नहीं, बचा ले जवानी। चुन ले जिंदगी नया, छोड़ कर नदानी। बन्द करो बन्द करो, बन्द करो पीना। छोड़ दो अब शराब, चाह रहे जीना। है उड़ान शेष बहुत, आसमान भी है। लाय चाँद तोड़ यहाँ, आज आदमी है। मथुरा प्रसाद वर्मा प्रतिभगी क्र...
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.