Saturday, 20 July 2024

एक मुक्तक

सफर में बस चुनौती हो, न कोई भी बहाने हो।
गगन के पार जाने तक उड़ाने ही उड़ाने हो।
नए पँखो को मेरे बस नया तुम हौसला देना।
शजर हो जो छितिज के पार मेरे आशियाने हो।

गजल : रूठ कर मान जाने से क्या फायदा।

212 212 212 212। ऐसे झूठे बहाने से क्या फायदा। रूठ कर मान जाने से क्या फायदा। प्यार है दिल में तो क्यों न महसूस हो, है नहीं फिर ...