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नेता के दोहे।


1
नेता करे न चाकरी, चमचा करे न काम।
दास मथुरा जी कह गए, जीवन हुआ हराम।।

2
नेता जी कुरसी राखिए, तन अपने चिपकाय ।
सकल  देश को डारिये, बेच बेच के खाय ।।

3
पल भर में ऊँचा उड़े, पलभर में गिर जाय।।
बेसरम जैसे लोग ये , मोल मिले बिक जाय।।

4
नेता ऐसा चाहिए , नमक देश का खाए।
देश हित में जीवन हो,देशहीत मिट जाए ।।

5
मित्र मेरे इस दौर में,सोच समझ  के वोट।
बैपारी  नेता बने ,बाँट रहे हैं नोट।।

6
नेता देखन मैं गया, नेता न मिला कोय।
रचते अलग स्वांग है, अभिनेता सब कोय।।

7
अपनी अपनी रोटियां, सेक सेक के खाय ।।
अब जनता हैं सोचता, मेरा  कौन उपाय।।

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