नाक आखिर नाक है;
बहे नहीं तो करे क्या?
रुमाल गन्दा न करे;
तो कोई मरे क्या?
आजाये आनी अगर है;
यूँ तड़पाती है क्यों?
एक मीठा दर्द बनकर
सर पे चढ़ जाती है क्यों?
ये जो अपनों छिक है
ये बड़ी ढी ठ है।
नाक पर आ कर अगर
न आए तो करे क्या?
ये एक ऐसा मर्ज है;
सच बड़ा ख़ुदगर्ज है।
नाक पे है नकचड़ी ।
सिर का सिरदर्द है।
न चैन दे पल भर
न रात को नीद दे
खर्राटे सुन क्र रात भर
कोई न डरे तो डरे क्या?
बहे नहीं तो करे क्या?
रुमाल गन्दा न करे;
तो कोई मरे क्या?
आजाये आनी अगर है;
यूँ तड़पाती है क्यों?
एक मीठा दर्द बनकर
सर पे चढ़ जाती है क्यों?
ये जो अपनों छिक है
ये बड़ी ढी ठ है।
नाक पर आ कर अगर
न आए तो करे क्या?
ये एक ऐसा मर्ज है;
सच बड़ा ख़ुदगर्ज है।
नाक पे है नकचड़ी ।
सिर का सिरदर्द है।
न चैन दे पल भर
न रात को नीद दे
खर्राटे सुन क्र रात भर
कोई न डरे तो डरे क्या?
No comments:
Post a Comment