होरी हर मन मा जलय, मिटय कुमत कुविचार।
मथुरा मया गुलाल ले, नाचय बीच बजार।
नाचय बीच बाजार, फाग गा गा संगी।
मदहा समझय लोग, समझ ले कोई भंगी।
पिचकारी भर रंग, छन्द बरसाहँव गोरी।
साधक सब सकलाय, मात गे हमरो होरी।
छत्तीसगढिया शायरी 1 . बहुत अभिमान मैं करथौ, छत्तीसगढ के माटी मा । मोर अंतस जुड़ा जाथे, बटकी भर के बसी मा। ये माटी नो हाय महतारी ये, एकर मानतुम करव बइला आन के चरत हे, काबर हमर बारी मा । 2 मै तोरे नाव लेहुँ, तोरे गीत गा के मर जाहूं ।। जे तै इनकार कर देबे, त मै कुछु खा के मर जाहुं ।। अब तो लगथे ये जी जाही संगी तोर मया मा, कहूँ इकरार कर लेबे त मै पगला के मर जाहुं ।। 3 ये कइसे पथरा दिल ले मै ह काबर प्यार कर डारेव ।। जे दिल ल टोर के कईथे का अतियाचार कर डारेव ।। नइ जानिस वो बैरी हा कभू हिरदे के पीरा ला जेकर मया मय जिनगी ला मै अपन ख़्वार कर डारेव।। ...
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