2122 2122 212
रोज सुध कर के जेकर छाती जरे।
नइ फिरय वो फेर अब बिनती करे।
कोन बन मा जा भटक गे राह ला
रेंगना आइस जिखर अँगरी धरे।
तँय लगा बिरवा मया के चल दिये,
देख आ के वो कतक फूले फरे ।
हे अँजोरी घर म तोरे नाँव ले,
जोत अँगना मा बने रोजे बरे ।
जब गिरे के बाद कोनो थामथे
जान लेथव हाथ वो तोरे हरे।
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