Wednesday 10 February 2021

छत्तीसगढ़ी गजल : बेंच दे है सब कलम बाजार मा।


कोन लिखथे साँच अब अखबार मा।
बेंच दे हे सब कलम बाजार मा।

नाँव के खातिर मरे सनमान बर।
रेंगथे कीरा सहीं दरबार मा।

साँच बोले के जुलुम होगे हवे।
काट मोरो  घेंच ला तलवार मा।

हाँ तहूँ जी भर कमा ले लूट ले,
तोर मनखे बइठगे सरकार मा।

तँय कहूँ ला सोज रद्दा झन बता, 
जे भटकथे घर बनाथे खार मा।

तँय मसाला डार जे जतका मिले,
नून कमती नइ चलय आचार मा।






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