Saturday 21 January 2017

इंसानियत कहाँ खो गया ?

उस दिन बड़ा अजीब  हादसा हुआ मेरे साथ।
मैंने कुछ पर्ची में विरुद्धर्थी शब्द लिख कर बच्चो में बाट दिया।

कहा - अपने अपने उलटे अर्थ वाले शब्द जिनको मिले है खोज लो।
कुछ देर तक बच्चे सोर कर के पूरे कक्षा में अपने साथी खोजते रहे।

सच कह रहा हूँ

सारे शब्द मिले

उनके विरुद्धर्थी शब्द मिल गए

एक बच्चा वो पर्ची लेकर अकेले खड़ा था

जिसपर मैंने बड़े बड़े अक्षरों में हैवानियत लिखा था।


इंसानियत कहाँ खो गया आज तक नहीं मिला।

मथुरा प्रसाद वर्मा

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