सुन कर आश्चर्य होगा
मुझे ज्यादातर कविताएं
तब सूझती है
जब मैं
टॉयलेट सीट पर बैठा होता हूँ।
और वहाँ से उठकर,
कागजपर लिखकर
मैं हल्का बहुत हल्का होता हूँ।
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गजल : रूठ कर मान जाने से क्या फायदा।
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