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घोटाले देंगे

सपने बड़े निराले देंगे।। हर रोज नए घोटाले देंगे।। राजनेता हम इस देश को। बीवी ,बच्चे और साले देंगे।। चाबी दे दे कर चोरों को फोकट में सबको ताले देंगे।। घासलेट महंगी हुई तो क्य...

जीवन के सपने

मैंने चाहा था कभी जीवन के बेरंग कैनवास पर हसिन सपनो से रंग देना। मैं उम्रभर भागता रहा उन्ही सपनो के पीछे। तलाशता रहा दुनियाँ भर के रंग ताकि जीवन हो सके रंगीन सपनों की तरह। ...

जीवन

जीवन जीवन क्या सिर्फ इसलिए है कि चाहे जैसे भी हो जिया जाये । इस हलाहल को पीना ही है तो क्यों न मुस्कुरा कर पिया जाये। कोई लक्षय नही पथ ही पथ है और उनपर चलना सिर्फ चलना है। सुवि...

प्यास

वो चींखने चिल्लाने वाले कौन है ? कौन है? कौन है ? जो भूखे है ? जो प्यासे है ? बेघर है? नंगे है ? क्या उनके दंगे है ? अरे नहीं ! उन्हें भला कहा फुर्सत है ? वो क्यों  चीखेंगे ? क्यों चिल्लायेंगे? वो सब तो मौन है। फिर भला ये कौन है? ये वो है जो ख़ास मौको पर आते है हमारी भूख और प्यास रोटी और गरीबी को जो लोग भुनाते है। ये वही लोग है जो चिल्लाते है जो हमारी प्यास से अपनी प्यास बुझाते है।

रोटी और भूख

रोटियां तब भी बिकती थी। रोटियां अब भी बिकती है। रोटियां वो भी बेचते थे रोटियां ये भी बेचते है। फर्क है बस इतना कि तब हम रोटियां खरीद नहीं पाते थे।। अब रोटियां खा नहीं पाते। क्यू कि भूख तब भी नहीीं बिकता था भूख अब भी नही बिकता है।

छडिकाएं

डूबने वाले को इतना सहारा तो है। पल दो पल साथ तेरे गुजारा तो है।। कही तो नाचती है मुस्कान की दुल्हन ओठ मेरा  न सही तुम्हारा तो है।

आजकल

बुझाते हुए दिये भी सितारा लगे है आजकल।। मझधार भी जाने क्यू किनारा लगे है आजकल।। फूल हमेशा साथ देते नहीं यह जानकर काँटों का साथ ही प्यारा लगे है आजकल।। तुम कुछ सोचो मैं कुछ स...

जज्बात समझ लूंगा।

जो तुम्हारे दिल में होंगे, मैं वो जज्बात समझ लूंगा ।। जो तुम कह भी नहीं पाते मैं वो बात समझ लूंगा ।। तुम बादल हो चाहो जहाँ   पर बरस लेना ये पलकें भीग जाएँगी , मैं बरसात समझ लूंगा।। जिन्हें भी भूख लगाती है रोटी क्यू नहीं मिलती कोई ये बात समझा है जो मैं ये बात समझ लूंगा ।। अच्छा है मुझे देखकर तुम निगाहें फेर लेती हो कही तुम मुस्कुरा दोगी तो मैं सौगात समझ लूंगा ।। जो रात आये तो मेरी माँ तू मुझको सुला देना; मैं नादां हु रात को दिन, दिन को रात समझ लूंगा।। कहीं कोई भी गिर जाये मैं अक्सर दौड़ पड़ता हू ये ये उंगली कोई भी  पकड़े  मैं तेरा हाथ समझ लूंगा।। जब तक  दिल करे चलना,फ़िर रास्ता बदल लेना नसीब में लिखा था यहीं तक तेरा साथ  समझ लूंगा   ।।

छडिकाएं

माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है। वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।। आज के इस दौर में मुझे ये मलाल है कुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।

मुक्तक

मुहब्बत एक फैशन है ,आजकल ज़माने में। नही दिल देखता कोई , लगे है तनको सजाने में।। बहुत आसान है पहली नज़र में दिल दे देना; पसीने छूट जाते हैं मगर रिश्ते निभाने में। कभी करता है दिल मेरा, कि मैं देवदास हो जाता ।। न पड़ता तेरे चक्कर में, तो कुछ ख़ास हो जाता ।। अगर होते सिलेबस में, तुम्हारे हुस्न के चर्चे; ये मुमकिन है परीक्षा में, मैं भी पास हो जाता ।। हर एक हार किसी जीत की शुरुवात  होती है ।। हर सुबह से पहले एक लम्बी रात होती है ।। जो हिम्मत हारते नहीं है गिर-गिर के राहों में; मुकद्दर में उन्ही के जीत की सौगात होती है ।। माली ही खुद अपना चमन बेचने लगे है। वतन के रखवाले ही वतन बेचने लगे है ।। आज के इस दौर में मुझे ये मलाल है कुछ कलमकार भी कलम बेचने लगे है।

मोर छत्तीसगढ़ी गीत: छत्तीसगढिया शायरी

  छत्तीसगढिया शायरी   1 . बहुत अभिमान मैं करथौ,   छत्तीसगढ के माटी मा । मोर अंतस जुड़ा जाथे,  बटकी भर के बसी मा। ये माटी नो हाय महतारी ये,   एकर मानतुम करव बइला आन के चरत हे,   काबर    हमर  बारी मा  ।   2 मै   तोरे  नाव लेहुँ,  तोरे गीत   गा के मर   जाहूं ।।  जे तै इनकार कर देबे,  त   मै   कुछु खा के मर जाहुं ।। अब तो लगथे ये जी जाही  संगी  तोर    मया मा, कहूँ इकरार कर लेबे    त मै  पगला के मर जाहुं ।।                       3 ये कइसे पथरा दिल ले मै ह  काबर प्यार कर डारेव ।। जे दिल ल टोर के कईथे का अतियाचार कर डारेव ।। नइ  जानिस वो बैरी हा  कभू हिरदे के पीरा ला  जेकर मया मय जिनगी ला  मै  अपन ख़्वार कर डारेव।।               ...