जुदाई में गम का जहर पीतें है .
रोकती ही दुनिया हम मगर पीतें है .
कौन कहता है मेरे हाथों में शराब है ,
हम तो अपना जिगर पीते है.
कभी कभी सारा सहर लड़खड़ाता है ,
उनके यादों में हम इस कदर पीतें है .
पिए बिना अब हमको होश नहीं आता है
यारो हम अब साम ओ सहर पीतें है
तेरा गम कहा हमको बनती शराबी
कहा हम कोई उम्र भर पीते है .
किसे है प्रसाद चाहत तेरे जीने की ,
हर अंजाम से हो हम बेखबर पीते है .
रोकती ही दुनिया हम मगर पीतें है .
कौन कहता है मेरे हाथों में शराब है ,
हम तो अपना जिगर पीते है.
कभी कभी सारा सहर लड़खड़ाता है ,
उनके यादों में हम इस कदर पीतें है .
पिए बिना अब हमको होश नहीं आता है
यारो हम अब साम ओ सहर पीतें है
तेरा गम कहा हमको बनती शराबी
कहा हम कोई उम्र भर पीते है .
किसे है प्रसाद चाहत तेरे जीने की ,
हर अंजाम से हो हम बेखबर पीते है .
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