Saturday, 7 January 2012

इंसान नही होते।

हिन्दू नहीं होते वो मुसलमां नहीं होते !
जो खून से खेलते है इन्सां नही होते !!

ऐसे उजाले से तो अँधेरा ही है बेहतर
जो घर को जला दे वो समां नहीं होते !!

चला आता है बुडापा बेवक्त उनके पास
कुछ बच्चे मेरे गांव के क्यों जवाँ नहीं होते !!

मजहब के नाम पे जो बताते है इनसानों को
वो  मुल्क के दुश्मन है मेहमां नहीं होते !!

ये अमन नहीं होता ये चमन नहीं होते
गर हौसलों में अपने तुफां नहीं  होते !!




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