नशा, नश-नश में समाई आज के समाज के !
नशे के गुलाम हो रहे सारे नवजवान आज के !
पीढ़ी - दर-पीढ़ी इसका प्रचार चल रही है !
इसी के कमाई से तो ये सरकार चल रही है !
न जाने कब मौत की पैगाम आ जाये जिन्दगी की आखरी साम आ जाए हमें तलाश है ऐसे मौके की ऐ दोस्त , मेरी जिन्दगी किसी के काम आ जाये.
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