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क्या क्या करें क्या न करें

क्या क्या करें क्या क्या न करें? 
हमने उनपे सब छोड़ा है ;
जो करना है वो खुदा करे.
 
बचपन की उखड्ती साँसे हैं।
ममता की बेबस आँखें है।
वो फिर भी महल बनायेंगे,
कोई मरता है तो मारा करे.
 
यहाँ खून से आटा सनती है,
तब जाकर रोटी बनती है.
हर दाने पे पहरें बैठें है,
जिन्हें भूख लगे वो दुआ करे.
 
जब जुल्म की आंधी चलती है
इंसाफ कुचल  दी जाती है.
यहाँ न्याय गवाही मांगेगी ,
अन्याय भले ही हुवा करे.

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