नई पीढ़ी के हाथों में , बन्दुक थमा दो खतरा है !
बच्चों को भी हिंसा का पाठ पढ़ा दो खतरा है !
रोटी न हो शिक्षा न हो , पर हथियार जरुरी है,
खेतों और खलिहानों में बारूद उगा दो खतरा है !
कौन आसामी,कौन बिहारी और हिन्दू ,मुसलिम कौन ?
घर-घर में नफरत की दिवार उठा दो खतरा है !
हर पेट मांगेगी रोटी, हर हाथ मांगेगा काम
बेहिसाब बढ़ी आबादी, गोली चलवा दो खतरा है !
महलों में रहने वाले वो चोर हमसे कहते है,
घर में कहीं न आग लगा दे, दिया बुझा दो खतरा है !
-------- मथुरा प्रसाद वर्मा "प्रसाद"
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