Thursday, 20 October 2011

खतरा है !


नई पीढ़ी के हाथों में , बन्दुक थमा दो खतरा है ।
बच्चों को भी हिंसा का पाठ पढ़ा दो  खतरा है ।

रोटी न हो, शिक्षा न हो, पर हथियार जरुरी है;
खेतों और खलिहानों में बारूद उगा दो खतरा है ।

कौन आसामी,कौन बिहारी और हिन्दू,मुसलिम कौन ?
घर-घर में नफरत की दिवार उठा दो खतरा है ।।

हर पेट मांगेगी रोटी, हर हाथ मांगेगा काम;
बेहिसाब बढ़ी आबादी, गोली चलवा दो खतरा है।

महलों में रहने वाले वो  चोर हमसे कहते है,
घर में कहीं न आग लगा दे, दिया बुझा दो खतरा है ।।

          मथुरा प्रसाद वर्मा "प्रसाद"

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