पैगाम लिए फिरता हूँ कोई दर नहीं मिलता !
भटकता हूँ दर-दर मगर घर नहीं मिलता!
आकेले ही चलना है शायद नशीब में;
इसीलिए तो कोई हमसफ़र नहीं मिलता!
दो कदम कोई साथ चले मेरे भी,
रही अगर कोई उम्र भर नहीं मिलाता !
212 212 212 212। ऐसे झूठे बहाने से क्या फायदा। रूठ कर मान जाने से क्या फायदा। प्यार है दिल में तो क्यों न महसूस हो, है नहीं फिर ...
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