पैगाम लिए फिरता हूँ कोई दर नहीं मिलता !
भटकता हूँ दर-दर मगर घर नहीं मिलता!
आकेले ही चलना है शायद नशीब में;
इसीलिए तो कोई हमसफ़र नहीं मिलता!
दो कदम कोई साथ चले मेरे भी,
रही अगर कोई उम्र भर नहीं मिलाता !
सुरज बनना मुश्किल है पर , दीपक बन कर जल सकते हो। प्रकाश पर अधिकार न हो, कुछ देर तो तम को हर सकते हो । तोड़ निराश की बेड़ियाँ, ...
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