सरफरोशों की प्रजातियाँ विलुप्त हुईं ,
आंधियां तेज़ है मत अकड़, झुक !!
सर सलामत रहा तो फिर देखा जायेगा ;
सर उठाने का वक्त अभी आएगा रुक !!
महफ़िल में मची है अभी कौओ की काँव-काँव;
कौन सुनेगा यहाँ कोयल की कुक !!
इसलिए की अखबारों की सुर्खियों में नाम हो ;
गिरेबान मत झांक , आसमान में थूक !!
शेर की दहाड़ अब पिंजरों में कैद है ;
कुत्ते की तरह , भूक सके तो भूक !!
रोटियां जिनके लिए फकत खेलने की चीज़ है;
वो क्या जाने किसी बच्चे का भूख !!
आज कल मुह खोलन भी तो एक जुर्म हो गई है
झूठ न कह सको तो रहो सदा मूक !!
लो सबक अब भी उनकी मक्कारियों से ' प्रसाद'
जिनकी तिजोरी में बंद है ज़माने का सुख !!
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