सपने बड़े निराले देंगे !
हर रोज़ नए घोटाले देंगे !
हम राजनेता है, इस देश को,
बीवी, बच्चे, सेल देंगे !
चावी दे दे कर चोरों को ,
मुफ्त में सबको ताले देंगे!
घासलेट मह्गीं है तो क्या ?
नै दुलहन को जलाने देंगे!
कम न दे सके तो लोगों को
त्रिशूल, तलवार, भाले देंगे !
सीमेंट , रेट,छड कने वाले
भूखे को क्या निवाले देंगे!
अखबार चलने वाले बस
रोज़ नए मसलें देंगे !
घर अपना जला जला के प्रसाद
कब तक दूसरो को उजाले देंगे!
चल गाँव अपने ,ये बेगानों का सहर है
ये रोज जिगर को छालें देंगे !
मथुरा प्रसाद वर्मा ' प्रसाद'
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