Thursday, 20 October 2011

अपने हालत पे यूँ लाचार हो गए हैं.


अपने  हालत  पे  यूँ लाचार  हो गए  हैं.
आम  थे  कभीआचार हो गए  हैं.

अपनी आजादी पे किसकी नज़र लगी प्यारे 
उम्र भर के लिए गिरफतार हो गए हैं . 



भूख लगी हमने तो  रोटी क्या मांग ली,
उनकी निगाहों में गुनहगार हो गए हैं .

वो  देने  आया था दर्देदिल का दवा हमें
सुना है इन दिनों बीमार हो गया  हैं.

सुना है कुछ बेईमान लोगों ने कैसे ,
कुछ जोड़ तोड़ की है ओर सरकार हो गए है 


दुवा  मांगी थी कभी खुशियों की मैंने 
उसी दिन से मेरे हाथ बेकार हो गए है 

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